क्या होते हैं डायबिटीज के लक्षण और उपाय

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क्या होते हैं डायबिटीज के लक्षण और उपाय
27/09/2020 by archet
डायबिटीज़ जिसे हिंदी में मधुमेह कहा जाता है, जो रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ने की स्तिथि होती है। मधुमेह जो मधु और प्रमेह से मिल कर बना है अर्थात मूत्र द्वारा शर्करा का शरीर से बाहर निकलना। डायबिटीज के लक्षण और उपाय जान कर इस रोग को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

Table of Contents
डायबिटीज क्या है
यह एक चयापचय रोग है(a metabolic disease that causes high blood sugar). हमारे शरीर में बनने वाला एक हार्मोन इन्सुलिन रक्त में शर्करा को आपकी कोशिकाओं में स्थानांतरित करता है जिसे ऊर्जा के लिए संग्रहीत या उपयोग किया जाता है। मधुमेह होने की स्तिथि मेंआपका शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता है या वह प्रभावी रूप से इंसुलिन का उपयोग नहीं कर सकता है।

डायबिटीज के प्रकार
डायबिटीज़ 4 प्रकार का होता है

टाइप 1 (Type I)
डायबिटीज टाइप 1 एक ऑटोइम्यून बीमारी( autoimmune disease) है। इस रोग की अवस्था में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अग्न्याशय(pancreas) की कोशिकाओं पर, जहां इंसुलिन बनता है, हमला करती है और उन्हें नष्ट कर देती है। यह स्पष्ट नहीं है कि इस हमले का क्या कारण है। मधुमेह से ग्रसित कुल मरीजों में से लगभग 10 प्रतिशत लोगों में टाइप 1 डायबिटीज़ होता है। बच्चों में पाये जाना वाला मधुमेह भी यही होता है।

टाइप 2 (Type II)
टाइप 2 डायबिटीज तब होता है जब हमारा शरीर इंसुलिन के लिए प्रतिरोधी हो जाता है, और कोशिकाओं में शर्करा का संचय नहीं हो पाता है जिससे रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ने लगती है और वह मूत्र द्वारा शरीर से बाहर निकलने लगती है।

प्री-डायबिटीज (pre-diabetes)
यह टाइप 2 डायबिटीज की पूर्व अवस्था होती है जब रक्त में शर्करा की मात्रा सामान्य से अधिक होने लगती है लेकिन टाइप 2 मधुमेह के निदान के लिए पर्याप्त उच्च नहीं मानी जाती है।

गर्भावधि मधुमेह (Gestational diabetes)
यह गर्भावस्था के दौरान होने वाली अस्थायी मधुमेह की स्तिथि होती है। गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा(नाल) द्वारा निर्मित इंसुलिन-अवरुद्ध हार्मोन इस प्रकार के मधुमेह का कारण बनता है।

उपरोक्त 4 अवस्थाओं के अतिरिक्त मेडिकल साइंस में डायबिटीज इन्सिपिडस(diabetes insipidus) का भी उल्लेख है लेकिन इसका मधुमेह से कोई सम्बन्ध नहीं है बस नाम में ही समानता है। डायबिटीज इन्सिपिडस की स्तिथि में गुर्दे शरीर से बहुत अधिक तरल पदार्थ निकालने लगते हैं।

डायबिटीज के लक्षण
उपरोक्त उल्लेख किये गए हर प्रकार के डायबिटीज के लक्षण लगभग समान ही होते हैं लेकिन कुछ लक्षण अपने आप में भिन्न होते हैं अत: उपचार भी भिन्न-भिन्न होता है।

टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण (Symptoms of Type 1 diabetes)
अत्यधिक भूख लगना
बार-बार प्यास लगना
वजन में कमी होना
थोड़ी-थोड़ी देर में पेशाब आना
नज़र धुंधली होना
बिना शारीरिक श्रम के थकान महसूस होना
मूड में बदलाव भी मधुमेह का संकेत हो सकता है।
टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण(Symptoms of Type 2 diabetes)
सामान्य से अधिक भूख लगना
प्यास ज्यादा लगना
पेशाब जल्दी-जल्दी आना
धुंधला दिखना
थकान महसूस होना
घावों को ठीक होने में सामान्य से अधिक समय लगना अथवा संक्रमण का बढ़ना, ऐसा इसलिए है क्योंकि शरीर में ग्लूकोज का स्तर सामान्य से अधिक होने के कारण घावों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
गर्भावधि मधुमेह के लक्षण (Symptoms of Gestational diabetes)
सामान्यत: गर्भावधि मधुमेह से पीड़ित अधिकांश महिलाओं में कोई लक्षण नहीं होते हैं। आमतौर पर रक्त शर्करा परीक्षण या मौखिक ग्लूकोज सहिष्णुता परीक्षण के दौरान स्थिति का पता लगाया जाता है जो आमतौर पर 24 वें और 28 वें सप्ताह के गर्भ के बीच किया जाता है।

बहुत ही कम मामलों में गर्भावधि मधुमेह वाली महिला को भी प्यास या पेशाब में वृद्धि का अनुभव होता है।

कई मामलों में डायबिटीज के लक्षण इतने हलके हो सकते हैं जिससे डायबिटीज का आरंभिक अवस्था में निदान संभव नहीं हो पाता है। सतर्कता और जानकारी से है पता चल सकता है कि क्या लक्षण प्रकट होने पर हमें चिकित्स्क से परामर्श लेना चाहिए।

डायबिटीज के कारण
अलग-अलग डायबिटीज़ के कारण भी भिन्न-भिन्न होते हैं।

टाइप 1 डायबिटीज के कारण
जैसा कि हमने शुरुआत में बताया था की टाइप 1 डायबिटीज़ एक autoimmune disease है और यह क्यों होती है इसका कोई निश्चित कारण अभी तक पता नहीं चल सका है। कुछ लोगों में जेनेटिक कारण हो सकते हैं और यह भी सम्भावना होती है कि एक वायरस प्रतिरक्षा प्रणाली के हमले को बंद कर दे।

टाइप 2 डायबिटीज के कारण
विभिन्न शोध से यह पता चला है कि टाइप 2 मधुमेह आनुवांशिकी और जीवन शैली कारकों के संयोजन से उपजा है। अधिक वजन या मोटापे के कारण टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। सामान्य से अधिक वज़न होना विशेष रूप से पेट के आसपास चर्बी जमा होने से कोशिकाएं इन्सुलिन प्रतिरोधी हो जाती है, जो डायबिटीज़ का कारण बनती है।

यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होता है जिससे टाइप 2 मधुमेह होने और अधिक वजन होने की संभावना बढ़ जाती है।

गर्भावधि मधुमेह के कारण
गर्भावधि मधुमेह गर्भावस्था के दौरान गर्भ को सुरक्षित रखने के लिए प्लेसेंटा कुछ हार्मोन बनती है जो कोशिकाओं में इन्सुलिन के कार्य में बाधा डालते हैं। हालाँकि प्रतिक्रिया स्वरुप शरीर में ज्यादा इन्सुलिन बनने लगता है लेकिन कभी-कभी ऐसा नहीं हो पाने के कारण रक्त में ग्लूकोस का स्तर बढ़ने लगता है और Gestational diabetes की स्तिथि पैदा हो जाती है

जो महिलाएं गर्भवती होने के दौरान अधिक वजन वाली होती हैं या जिनका वज़न गर्भावस्था के दौरान बहुत अधिक बढ़ जाता हैं, उनमें गर्भावधि मधुमेह होने की संभावना अधिक होती है।

यहाँ यह जानना जरुरी है कि अनुवांशिक कारण और जीवन-शैली दोनों ही मधुमेह रोग के खतरे को बढ़ाते हैं।

मधुमेह के जोखिम कारक(Diabetes risk factors)
टाइप 1 डायबिटीज के जोखिम कारक (Risk Factors of Type 1 diabetes)
अगर माता-पिता या भाई बहन में यह रोग है तो आनुवंशिक कारणों से छोटे बच्चे या teenager में टाइप 1 डायबिटीज़ का खतरा बना रहता है।

टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम कारक (Risk Factors of Type 2 diabetes)
टाइप 2 डायबिटीज की संभावनाएं उनमें ज्यादा होती है :

जिनका वज़न अधिक हो
उम्र 45 या उससे अधिक है
माता-पिता या भाई-बहन को डायबिटीज़ हो
जो शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं रहते हैं।
जिन्हे गर्भावधि मधुमेह हुआ हो
जो प्रीडायबिटीज हैं
जिन्हें उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, या उच्च ट्राइग्लिसराइड्स की शिकायत है।
जो अफ्रीकी अमेरिकी, हिस्पैनिक या लातीनी अमेरिकी, अलास्का मूल, प्रशांत द्वीप समूह, अमेरिकी भारतीय या एशियाई अमेरिकी वंश है
गर्भावधि मधुमेह के जोखिम कारक (Risk Factors of Gestational diabetes)
गर्भावधि मधुमेह का खतरा उनमें ज्यादा देखा गया है :

जिन महिलाओं का वज़न सामान्य से अधिक होता है
जिनकी आयु 25 वर्ष से अधिक है
जिन्हे पिछली गर्भावस्था के दौरान गर्भकालीन मधुमेह था
जिन्होंने 9 पाउंड से अधिक वजन वाले बच्चे को जन्म दिया है
जिनका टाइप 2 मधुमेह का पारिवारिक इतिहास है
जिन्हें पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम (पीसीओएस) की शिकायत है
आपके परिवार, पर्यावरण, और चिकित्सा संबंधी स्थितियाँ सभी आपके मधुमेह होने की संभावनाओं को प्रभावित कर सकती हैं। पता करें कि आप किन जोखिमों को नियंत्रित कर सकते हैं और कौन से आप नहीं कर सकते।

डायबिटीज़ से होने वाली जटिलताएं
निरंतर उच्च रक्त शर्करा का स्तर शरीर के अंगों और ऊतकों को नुकसान पहुंचाता है। ब्लड शुगर जितना अधिक होगा और जितना ज्यादा समय तक उच्च स्तर पर बना रहेगा जटिलताओं के लिए खतरा उतना ही अधिक बढ़ जाता है।

मधुमेह से जुड़ी प्रमुख जटिलतायें
टाइप 1 और टाइप 2
अस्थ्याई जटिलताएं

Hypoglycemia यदि डायबिटीज का मरीज कभी इन्सुलिन या दवा की ज्यादा मात्रा ले लेता है तो शरीर में शर्करा की मात्रा एकदम से कम हो जाती है जिसे hypoglycemia कहते हैं।

Ketoacidosis – यह स्तिथि तब पैदा होती है जब मरीज इन्सुलिन का इंजेक्शन लेना भूल जाये और शरीर में शर्करा की मात्रा एकदम से बहुत बढ़ जाये।

दीर्घकालीन जटिलताएं

लम्बे समय तक रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ा हुआ रहने से कई जटिलताएं हो जाती है जो आसानी से समाप्त नहीं होती

दिल की बीमारी, दिल का दौरा और स्ट्रोक
किडनी की खराबी
हाथ पैर सुन्न होना और मांसपेशियों की कमजोरी
आँखों की रौशनी कम होना
बहरापन
पुरुषों में योन क्षमता में कमी होना
संक्रमण और घाव का ठीक नहीं होना
बैक्टीरिया और फंगल संक्रमण जैसे त्वचा की स्थिति
डिप्रेशन
पागलपन
गर्भावधि मधुमेह
अनियंत्रित गर्भकालीन मधुमेह उन समस्याओं को जन्म दे सकता है जो मां और बच्चे दोनों को प्रभावित करती है। बच्चे को प्रभावित करने वाली जटिलताओं में शामिल हो सकते है

समय से पहले जन्म
जन्म के समय सामान्य से अधिक वजन
बाद में जीवन में टाइप 2 मधुमेह के लिए जोखिम बढ़ गया
निम्न रक्त शर्करा
पीलिया
स्टीलबर्थ(शिशु का मृत पैदा होना)
माँ में उच्च रक्तचाप (प्रीक्लेम्पसिया) या टाइप 2 मधुमेह जैसी जटिलतायें हो सकती है। उसे सीजेरियन डिलीवरी की भी आवश्यकता हो सकती है, जिसे आमतौर पर सी-सेक्शन के रूप में जाना जाता है।भविष्य की गर्भधारण में माँ के गर्भकालीन मधुमेह का खतरा भी बढ़ जाता है।
मधुमेह के कारण गंभीर चिकित्सा जटिलताएं हो सकती है, लेकिन दवाओं और जीवन शैली में परिवर्तन के साथ स्थिति पर नियंत्रण किया जा सकता है।

डायबिटीज का उपचार
डायबिटीज के उपचार के लिए अलग-अलग प्रकार की दवाएं उपलब्ध है। ज्यादातर दवाएं मुंह से ली जाती हैं, जबकि इन्सुलिन इंजेक्शन के रूप में लिया जाता हैं।

टाइप 1 डायबिटीज का उपचार
टाइप 1 डायबिटीज में इंसुलिन ही मुख्य उपचार है क्योकि इस अवस्था में शरीर इन्सुलिन का उत्पादन करने में सक्षम नहीं होता इसलिए अन्य दवाएं कोई फायदा नहीं करती।

सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले इंसुलिन चार प्रकार के होते हैं। किस मरीज को कौनसा इन्सुलिन देना है वह इस बात पर निर्भर करता है कि उसे कितनी तेजी और कितने लम्बे समय तक इन्सुलिन की जरूरत है।

रैपिड-एक्टिंग इंसुलिन – 15 मिनट के भीतर काम करना शुरू कर देता है और इसका प्रभाव 3 से 4 घंटे तक रहता है।
शार्ट एक्टिंग इंसुलिन – 30 मिनट के भीतर काम करना शुरू कर देता है और 6 से 8 घंटे तक इसका प्रभाव रहता है।
इंटरमीडिएट एक्टिंग इंसुलिन -1 से 2 घंटे के भीतर काम करना शुरू कर देता है और इसका प्रभाव 12 से 18 घंटे तक रहता है।
लॉन्ग एक्टिंग इंसुलिन– यह लगाने के कुछ घंटे बाद काम करना शुरू कर देता है और 24 घंटे या उससे अधिक समय इसका प्रभाव तक रहता है।
टाइप 2 डायबिटीज का उपचार
डायबिटीज का एलोपेथिक उपचार
उचित आहार-विहार और जीवन शैली में परिवर्तन कर कुछ लोगों को टाइप 2 मधुमेह का प्रबंधन करने में मदद कर मिल सकती है। यदि जीवनशैली और आहार-विहार में परिवर्तन करने के बावजूद रक्त शर्करा का स्तर कम नहीं होता है तो दवा लेने की आवश्यकता होती है।ये दवाएं रक्त शर्करा को विभिन्न तरीकों से कम करती हैं।

दवा के प्रकार वे कैसे काम करते हैं। डायबिटीज एलोपैथिक मेडिसिन उदाहरण –

अल्फा-ग्लूकोसिडेज़ इनहिबिटर जैसे Acarbose (Precose) और माइगेलिटोल (Glyset) शरीर के शर्करा और स्टार्च युक्त खाद्य पदार्थों के टूटने को धीमा कर देते हैं जिससे रक्त में शर्करा का स्तर नियंत्रण में रहता है।

Biguanides जैसे मेटफोर्मिन (ग्लूकोफेज) लिवर में ग्लूकोस बनने की मात्रा को कम करते हैं।

DPP-4 इनहिबिटर जैसे लिनाग्लिप्टिन (ट्रेडजेंटा), सैक्सैग्लिप्टिन (ओन्ग्लीज़ा) रक्त शर्करा के स्तर को बहुत ज्यादा कम किये बिना नियंत्रित रखते हैं।

ग्लूकागन जैसे लिराग्लूटाइड (विक्टोजा)– यह पेप्टाइड्स की तरह आपके शरीर में इंसुलिन बनने की प्रक्रिया को बदल देते हैं।

Meglitinides जैसे Nateglinide (Starlix) – यह अधिक इंसुलिन स्रावित करने के लिए अग्न्याशय को उत्तेजित करता है।

SGLT2 इनहिबिटर जैसे Canagliflozin (Invokana) – मूत्र द्वारा ग्लूकोस को शरीर से बाहर निकलता है।

Sulfonylureas जैसे ग्लायबेराइड (DiaBeta, Glynase), glipizide (Glucotrol), और glimepiride (Amaryl)अधिक इंसुलिन बनाने के लिए अग्न्याशय(pancreas) को उत्तेजित करते है।

थियाजोलिडाइनायड्स पियोग्लिटाज़ोन (एक्टोस) और रसग्लिटाज़ोन (अवांडिया) – इंसुलिन को बेहतर काम करने में मदद करता है

रोग की अवस्था के अनुसार व्यक्ति को इनमें से एक से अधिक ड्रग्स लेने की आवश्यकता हो सकती है। टाइप 2 मधुमेह वाले कुछ लोग इंसुलिन भी लेते हैं। उपरोक्त दवाएं बिना चिकित्सक के परामर्श के नहीं लेनी चाहिए।

डायबिटीज का आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेद के अनुसार डायबिटीज एक ऐसा विकार है जो कफ दोष असंतुलित होने के कारण होता है जिसमें अग्नि (पाचन अग्नि) धीमी होने के कारण यह शरीर में उच्च रक्त शर्करा का कारण बनता है।

प्राचीन चिकित्सा विज्ञानं आयुर्वेद में डाइबिटीज़ को एक प्रमेह रोग बताया गया है। मूल रूप से सही आहार-विहार ही इस रोग से बचाव और नियंत्रण करने में सहायक है लेकिन अगर रोग नियंत्रित नहीं होता है तो विभिन्न प्रकार के शास्त्रोत योग का आयुर्वेद में उल्लेख हैं जिनका उपयोग वैद्य की सलाह से ही करना चाहिए।

डायबिटीज की कुछ शास्त्रोत दवाएं
वसंत कुसुमाकर रस – यह एक बहुत ही प्रभावकारी औषधि है जिसे मूत्र रोग और मधुमेह के लिए दिया जाता है। इसे चिकित्स्कीय परामर्श से ही लेना चाहिए।
कैशोर गुग्गुल – कई प्रकार के रोगो में दी जाने वाली यह दवा मधुमेह के लिए भी एक प्रभावकारी औषधि है। इसे रोगी की अवस्था के अनुसार चिकित्स्क की देखरेख में ही लेना चाहिए।
फ़लत्रिकादि क्वाथ – मुख्य रूप से तीन फलों से बना यह क्वाथ पाचन क्रिया को सुधार कर भोजन के पोषक तत्वों को शरीर में अवशोषित करने में सहायता कर मधुमेह रोग में लाभकारी होता है।
डायबिटीज की कुछ पेटेंट दवाएं
बाज़ार में उपलब्ध विभिन्न कंपनियों की पेटेंट औषधियां भी मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत लाभकारी है और डायबिटीज के लक्षण से निजात दिलाने में सहायता करती है। इन्हे उचित मार्गदर्शन में लेना चाहिए।

करेला जामुन का जूस – करेला और जामुन दोनों ही मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत लाभकारी होते हैं लेकिन भागदौड़ भरी जिंदगी में इनका घर पर जूस निकल कर पीना आसान नहीं है। आयुर्वेद की प्रतिष्ठित कम्पनी बैद्यनाथ का यह करेला-जामुन का जूस Amazon पर उपलब्ध है जिसे आप खरीद कर लाभ उठा सकते हैं।

Cureveda की Gluco Guide टेबलेट एक पेटेंट आयुर्वेदिक औषधि है जो मधुमेह के लिए प्रामाणिक जड़ी-बूटियों से बानी है। अगर आप पहले से मधुमेह का अन्य इलाज ले रहे हैं तो अपने डा की सलाह से यह दवा ले सकते हैं। यह Amazon पर भी उपलब्ध है।

INLIFE Diastan Noni for Diabetic Care, Juice Concentrate यह रक्त में शर्करा को नियंत्रित करने वाली विभिन्न औषधियों जैसे मैथीदाना, जामुन, करेला आदि का बना जूस है। इसके नियमित सेवन से मधुमेह के रोगियों को आराम मिलता है। यह भी आप Amazon से खरीद सकते हैं

बाबा रामदेव डायबिटीज मेडिसिन

दिव्य फार्मेसी, पतंजलि की दिव्य मधुनाशनी वटी एक भरोसेमंद दवा है जो मधुमेह के लिए गुणकारी जड़ी बूटियों से बनायीं गयी है। अगर आपके आस-पास कोई पतंजलि स्टोर नहीं है तो इसे आप घर बैठे Amazon से भी मंगवा सकते हैं।

डायबिटीज का घरेलू उपचार
हमारे देश में रसोई में उपलब्ध विभिन्न खाद्य पदार्थों से किसी भी रोग का घरेलू उपचार बहुत ही सामान्य है। हमारी दादी-नानी पीढ़ी दर पीढ़ी यह ज्ञान आगे बढाती आयी है और अब इंटरनेट के ज़माने में सारा ज्ञान यहाँ सहेजा जा रहा है जिससे कि आने वाली पीढ़ी लाभान्वित हो सके।

हमारे रसोई घर में ऐसी बहुत सी चीज़े हैं जिनका नियमित और सही मात्रा में नियमित सेवन करने से मधुमेह जैसा रोग भी काबू में आ सकता है। करेला एक ऐसी सब्जी है जो कड़वी होने के बावजूद बहुत स्वादिष्ट होती है और पसंद की जाती है। मधुमेह की स्तिथि में नियमित करेले का जूस पीना या सूखे करेले का पाउडर गुनगुने पानी के साथ लेना बहुत लाभकारी माना गया है।

जामुन भी एक ऐसा ही फल है जिसकी गुठली के चूर्ण के नियमित सेवन से मधुमेह के लक्षणों में राहत मिलती है। अगर घर पर करेला और जामुन का जूस/पाउडर बना कर लेना संभव नहीं हो तो बाज़ार में ऑनलाइन भी यह उपलब्ध है।

मैथीदाने को रात में पानी में भिगो कर सुबह खाली पेट चबा कर खाने से भी डायबिटीज के लक्षण सामान्य होने में मदद मिलती है।

डायबिटीज में क्या खाना चाहिए
मधुमेह रोग को नियंत्रण करने के लिए सबसे पहले किसी भी चिकित्स्क द्वारा जो सलाह दी जाती है वह है मरीज का आहार-विहार और जीवन शैली को प्रकृति के अनुरूप बनाना।

टाइप 2 डायबिटीज़ को सही खान-पान से भी नियंत्रण में लाया जा सकता है इसलिए, डायबिटीज में क्या खाना चाहिए, यह प्रश्न बहुत ही अहम् है।

डायबिटीज़ के रोगी को अपने आहार में ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक आहार को सम्मिलित कर जनक/फ़ास्ट फ़ूड से पूर्णत: दुरी बना लेनी चाहिए। ज्यादा से ज्यादा मौसमी फल व सब्जियों का सेवन करना चाहिए लेकिन मीठे फलों से बचने की सलाह दी जाती है। अगर कुछ मीठा खाने का मन करे तो शक़्कर से बनी मिठाई के बजाय कोई मीठा फल जैसे केला, आम आदि सिमित मात्रा में खाया जा सकता है।

डायबिटीज में कौन सा आटा खाएं? मोटे अनाज जैसे जौ, ज्वार, बाजरा और उनसे बने चौकोर युक्त आते का सेवन करना चाहिए। मैदे से बनी वस्तुओं से पूर्णत: दुरी बना लेनी चाहिए। आजकल बाज़ार में डाइबिटीज के मरीजों के लिए विशेष आटा भी उपलब्ध है जिसे खरीद कर आप सेवन कर सकते हैं।

डायबिटीज डाइट चार्ट वेजीटेरियन

डायबिटीज में परहेज
मधुमेह के रोगियों को बहुत सी बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए अन्यथा दवाएं और अन्य उपचार भी प्रभावी नहीं होते हैं और डायबिटीज कंट्रोल करने में मुश्किल हो सकती है । कुछ मुख्य परहेज इस प्रकार है –

चीनी और चीनी से बना कोई भी पदार्थ
मैदे से बनी वस्तुएं
तला हुआ खाना
दूध और दूध से बने पदार्थ
बासी खाना
फ़ास्ट फ़ूड
दोपहर में ज्यादा सोना
नंगे पैर घूमना
डायबिटीज में क्या अवश्य करना चाहिए ?
नियमित रूप से प्रात: अथवा सायंकालीन भ्रमण
हल्का फुल्का व्यायाम अथवा योगासन
नियमित अंतराल में थोड़ा थोड़ा खाना
शारीरिक चोट से बचने के उपाय, पावों में मोज़े जरूर पहनें
नियमित रक्त में शर्करा का स्तर जांचना
कोई भी डायबिटीज़ की दवा बंद या चालू करने से पहले चिकित्सक से परामर्श लेना
ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक और वीगन भोजन करना
अगर आपको कोई कहे कि उसके पास डायबिटीज की रामबाण दवा है तो इस छलावे में कभी नहीं आवें। ऐसी कोई दवा नहीं होती है। सही आहार-विहार, चिकित्सक के परामर्श से उपयुक्त दवा के सेवनऔर मधुमेह के बारे में उचित जानकारी से ही मधुमेह पर विजय पायी जा सकती है।