कब्ज का घरेलू उपचार कैसे करें ?

in #steempress4 years ago (edited)


कब्ज़ कोई रोग नहीं लेकिन कई रोगों का लक्षण है। कब्ज होने के अनेक कारण हो सकते हैं इसलिए सबसे पहले उन कारणों का पता लगाना आवश्यक है जिन कारणों से कब्ज हो रही है। कब्ज होने की स्तिथि में कब्ज का घरेलू उपचार ही श्रेष्ठ होता है।


कब्ज क्यों होता है

कब्ज़ होने के अनेक कारण हो सकते हैं। हर व्यक्ति में इसके कारण भिन्न-भिन्न होते हैं। कब्ज होने के जो मुख्य कारण उनके बारे में यहाँ हम विस्तार से चर्चा करेंगे।

पानी कम पीना

कब्ज होने का यह सबसे मुख्य कारणों में से एक है दिन भर में पानी आवश्यकता से कम पीना। पानी की कमी से शरीर में रुखापन हो जाता है और मल में भी पानी की कमी हो जाती है जिससे मल सख्त हो जाता है और मलत्याग में कठिनाई होने लगती है। यही कब्ज का लक्षण भी है।

अंग्रेजी दवाइयों का सेवन

बहुत से अंग्रेजी दवाइयों का यह साइड इफेक्ट होता है जिसे अंग्रेजी में constipation यानी कब्ज़ कहते हैं। बहुत सी दवाइयां जैसे antihistamine (खुजली, दमा इत्यादि में प्रयोग की जाने वाली दवाइयां), antidepressant(अवसाद में प्रयोग की जाने वाली दवाइयां), muscle relaxants(मांस पेशियों को ढीला करने वाली दवाइयां) आदि दवाएं anticholinergic effect पैदा करती है जिससे भी कब्ज के लक्षण प्रकट होने लगते हैं।

इस तरह की दवाइयों को लम्बे समय तक लेने से कब्ज़ की गंभीर अवस्था भी पैदा हो सकती है। अगर कोई दवाई लेने से कब्ज़ की स्थिति पैदा होती है तो कब्ज का घरेलू उपचार करने से पूर्व सम्बंधित डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

फ़ास्ट फ़ूड या गलत खान पान

आज फ़ास्ट फ़ूड का प्रचलन बहुत बढ़ गया है। फ़ास्ट फ़ूड अक्सर रिफाइंड गेहूं के आटे (refined wheat flour) अर्थात मैदे के बने होते हैं। मैदे में रेशे की मात्रा बहुत कम होती है जबकि पेट सही से साफ़ हो इसके लिए जरुरी है कि भोजन में पर्याप्त रेशेयुक्त पदार्थ की मात्रा होनी चाहिए।

फ़ास्ट फ़ूड में मैदे के अतिरिक्त , refined oil, शक़्कर और नमक भी हमारी दैनिक जरूरत से कहीं ज्यादा होता है। इस तरह का अप्राकृतिक खाना अर्थात फ़ास्ट फ़ूड नियमित सेवन करने से कब्ज का कारण बनता है।

तनाव युक्त जीवन शैली (mental stress)

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक तनाव(mental stress) होना बहुत आम होता जा रहा है। किसी अनहोनी होने की आशंका के डर स्वरुप मानसिक तनाव पैदा होता है। जब आप खतरा महसूस करते हैं, तो आपके शरीर में एक रासायनिक प्रतिक्रिया होती है जो आपको खतरे से बचने के लिए उपाय करने को प्रेरित करती है। इस प्रतिक्रिया को तनाव प्रतिक्रिया के रूप में जाना जाता है। तनाव प्रतिक्रिया के दौरान, आपकी हृदय गति बढ़ जाती है, साँस लेने में तेजी, मांसपेशियों में कसाव और रक्तचाप बढ़ जाता है। अधिक समय तक ऐसी स्तिथि बनी रहने से कब्ज़ होने लगती है। [1 ]

पशु-पदार्थों का अत्यधिक प्रयोग (consumption of animal products)

मानव की शारीरिक संरचना उसके पूर्णत: शाकाहारी होने की और इशारा करती है लेकिन आज पशु उत्पादों जैसे मांस, अंडा और दूध का प्रचलन तेजी से बढ़ता जा रहा हैं। माँसाहारी लोगो में कब्ज़ होना एक आम बात है लेकिन अगर शाकाहारी लोगों की बात करें तो उनमें दूध का सेवन अत्यधिक मात्रा में होता है। दूध में उपस्थित प्रोटीन को हमारा शरीर आसानी से नहीं पचा सकता और यही कब्ज़ का कारण बनता हैं। [2 ]

शारीरक गतिविधियां न करना (sedentary lifestyle)

जैसे-जैसे तकनीक का विकास होता जा रहा है इंसान का हर काम मशीनों की सहायता से होने लगा है। अत्यधिक मशीनों का उपयोग करने से हमारी शारीरिक कार्य क्षमता का हास् होने लगा है इसे ही sedentary lifestyle कहा जाता है।

अधिक देर तक एक ही अवस्था में बैठे या सोते रहने से हमारा शरीर शिथिल होने लगता है और लम्बे समय तक ऐसी स्तिथि बनी रहने से कब्ज़ के लक्षण पैदा होने लगते हैं।

चाय कॉफ़ी का अत्यधिक सेवन

वैसे तो यह माना जाता है की सुबह एक कप चाय पीने से पेट साफ़ हो जाता है, जो कुछ हद तक सही भी है लेकिन जब चाय/कॉफ़ी का सेवन अत्यधिक मात्रा में किया जाता है तो यही कब्ज़, गैस और एसिडिटी का कारण भी बनता है। अत: कैफीन युक्त पेय पदार्थों का सेवन अल्प मात्रा में ही किया जाना चाहिए, इसकी लत से बचना चाहिए।

एल्कोहल व तम्बाकू का सेवन

एल्कोहल व तम्बाकू का सेवन निश्चित रूप से कब्ज़ को निमंत्रण देने जैसा है। न केवल कब्ज़ अपितु इनका सेवन कई प्रकार के रोगों को जन्म देता है अत: इसके सेवन से पूर्णत: बचना चाहिए।

क्या हैं कब्ज़ के लक्षण?

अगर शुरूआत में ही लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो कब्ज़ बढ़ने से पहले ही कब्ज़ का इलाज़ कर इससे छुटकारा पाया जा सकता है। कब्ज़ के कुछ सामान्य लक्षण है जिससे आसानी से पता लग सकता है कि शरीर कब्ज़ से ग्रसित है।

मल का सूखा व कठोर होना

यह कब्ज़ का सबसे आम लक्षण और कारण भी है। शरीर में पानी की कमी के कारण मल सूखा और कठोर हो जाता है जिससे मल त्यागने में कठिनाई होती है। ऐसी स्तिथि में मॉल त्यागने के लिए अत्यधिक जोर लगाना पड़ता है और ज्यादा जोर लगाने से मलद्वार से खून भी आ सकता है और लम्बे समय तक ऐसा करने से बवासीर होने की संभावनाएं बढ़ जाती है।

मल की कमी होना

समुचित मात्रा में ठोस एवम रेशेयुक्त भोजन नहीं लेने से मल की मात्रा कम हो जाती है जिससे मल आसानी से शरीर से बाहर नहीं निकल पाता है और यही कब्ज़ का एक लक्षण भी है।

पेट में गैस बनना और एसिडिटी होना

पेट में अत्यधिक गैस बनना और दुर्गन्ध युक्त अपान वायु का निकलना तथा नियमित एसिडिटी होना भी कब्ज के आरंभिक लक्षणों में से एक है। अगर समय रहते लक्षणों को पहचान कर उपचार किया जाए तो कब्ज से छुटकारा पाया जा सकता है।

मलद्वार में रुकावट

किसी कारणवश अगर मलद्वार में रूकावट है तो डाक्टर से मिल कर इसका उपचार करवाना जरुरी है अन्यथा ज्यादा समय तक ऐसी स्तिथि बनी रहने से कब्ज़ के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

पेट में दर्द व भारीपन रहना

यदि लम्बे समय तक पेटदर्द व भारीपन की शिकायत बनी रहती है तो यह कब्ज़ के लक्षण हो सकते हैं। ऐसी स्तिथि में तुरंत चिकित्स्कीय परामर्श लेना चाहिए ताकि स्तिथि गंभीर होने से पूर्व ही इलाज़ किया जा सके।

शरीर में आलस्य बने रहना व भोजन में अरुचि

यदि बिना किसी शारीरिक श्रम के शरीर में आलस्य बना रहता है व खाने में रूचि कम होने लगती है तो यह भी कब्ज़ का लक्षण हो सकता है।

कब्ज का घरेलू उपचार

अगर आपको कब्ज़ के लक्षण नज़र आने लगते हैं तो पहले उस कारण का पता कर उसे दूर करना चाहिए जिससे कब्ज़ होने की स्तिथि बन रही है। यदि किसी कारणवश कब्ज़ के कारण को जानते हुए भी उसे दूर करना संभव नहीं हो जैसे यदि किसी अंग्रेजी दवा के कारण कब्ज़ हो रही है लेकिन उस दवा का सेवन जरुरी है तो कोई कब्ज़ का घरेलू उपचार इससे राहत दिलाने में सहायक हो सकता है।

सुबह उठते ही गुनगुना निम्बू पानी का सेवन

सुबह उठते ही सबसे पहले बासी मुहं हल्का गुनगुना निम्बू पानी पीना कब्ज का प्रभावकारी घरेलू उपचार माना जाता है। अगर किसी को कब्ज नहीं भी है तब भी अगर नियमित रूप से सुबह उठते ही 1-2 गिलास गुनगुने पानी का सेवन किया जाए तो पेट एकदम साफ़ रहता है। ध्यान रहे पानी एकदम ठंडा फ्रिज का नहीं होना चाहिए , लेकिन सामान्य तापमान का पानी पिया जा सकता है।

इसबगोल की भूसी का सेवन

अगर मल की मात्रा कम होने के कारण अथवा मल सूखा व् कठोर होने के कारण कब्ज़ रहती है तो रात में 1-2 चम्मच बारीक पीसी हुई इसबगोल की भूसी गुनगुने पानी के साथ लेने से सुबह मलत्याग आसानी से हो जाता है और कब्ज से छुटकारा मिलता है।

मौसमी फल, सब्जियां व सलाद का सेवन

अगर गलत खान-पान व अत्यधिक फ़ास्ट फ़ूड के कारण कब्ज़ की स्तिथि बन रही हो तो कुछ दिनों तक नियमित रूप से मौसमी फल, सब्जियां व सलाद का सेवन करने से कब्ज़ से छुटकारा मिल जाता है। यहाँ ध्यान देने की बात यह है कि फलों का जूस निकल कर पीने के बजाय फल खाना ही लाभदायक होता है क्योंकि उसका जूस निकलने से उसमें उपस्थित रेशा अलग हो जाता है जो कि कब्ज से तुरंत राहत दिलाने में अहम् माना जाता है।

पानी का उचित सेवन

दिन भर में पानी का पर्याप्त व सही समय पर सेवन करने से भी कब्ज़ की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। दिन भर में थोड़ी-धोड़ी मात्रा में पानी का सेवन करते रहना चाहिए ताकि शरीर में पानी की कमी न हो। ठन्डे पानी के सेवन से बचना चाहिए। खाना खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए अन्यथा जठराग्नि मंद हो जाती है जो आगे चलकर अपच व कब्ज़ का कारण बनता है। खाने के आधे घंटे के बाद सामान्य तापमान का पानी पीना चाहिए।

आजकल खाने के साथ ठन्डे पेय पदार्थो के सेवन का प्रचलन बढ़ता जा रहा है जो कि कब्ज़ का एक प्रमुख कारण है।

मुनक्का का प्रयोग

रात को पानी में मुनक्का भिगो कर सुबह खाने से भी कब्ज़ की समस्या से निजात मिलती है।

अरंडी का तेल

वैसे तो अरंडी के तेल के कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होते लेकिन यह एक विरेचक है अत: अगर मल कठोर है तो रात को 1-2 चम्मच लेने से सुबह पेट साफ़ हो जाता है। यहाँ ध्यान रखने की बात यह है कि इसको नियमित नहीं लेना चाहिए।

कब्ज के लिए योगासन

नियमित रूप से योगासन व भ्रमण करना भी कब्ज़ दूर करने में सहायक होता है। कुछ विशेष योगासन कब्ज की समस्या से छुटकारा दिलाने में सहायक होते हैं जैसे

  1. अधोमुख शवासन:
  2. मत्स्येंद्र आसन:
  3. पवनमुक्तासन:
  4. अनजनेयासन:
  5. बालासन:
  6. उत्तनासन:
  7. सुप्त मत्स्येन्द्रासन:

इन आसनों का अभ्यास किसी प्रशिक्षित योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही किया जाना चाहिए। ज्यादा जानकारी के लिए यह वीडियो भी देख सकते हैं।

इनके अतिरिक्त भी अन्य कोई कब्ज का घरेलू उपचार भी किया जा सकता है जो हमारी दादी-नानी बताती रहती है।

कब्ज का रामबाण इलाज़

प्राकृतिक खान-पान व मर्यादित जीवन ही कब्ज का रामबाण इलाज़ है। जैसा की हमने शुरुआत में ही बताया था कि कब्ज़ कोई रोग नहीं है अपितु विभिन्न रोगों का लक्षण है जो लम्बे समय तक रहने से एक रोग का रूप धारण कर लेता है। ऐसी स्तिथि में अनियमित आहार-विहार को छोड़ कर प्रकृति की शरण में लोटना ही पुरानी कब्ज का रामबाण इलाज हो सकता है।

किसी भी तरह की दवाइयों से तत्काल कब्ज राहत मिल सकती है लेकिन पुरानी से पुरानी कब्ज व कब्ज से होने वाले रोग से छुटकारा पाने के लिए प्राकृतिक रूप से ही कब्ज़ को दूर करने का प्रयत्न किया जाना चाहिए।

कब्ज़ की आयुर्वेदिक दवा (Ayurvedic treatment of constipation in Hindi)

आयुर्वेद चिकित्सा पद्धिति में कब्ज़ से राहत दिलाने के लिए विभिन्न प्रकार के चूर्ण/सिरप इत्यादि बाज़ार में उपलब्ध है लेकिन इनका उपयोग करने से पहले चिकित्स्कीय परामर्श अवश्य लेना चाहिए। यहाँ बाज़ार में उपलब्ध विभिन्न आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में संक्षिप्त जानकारी देने का प्रयास करेंगे। इन दवाओं को आप ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं लेकिन चिकित्सक की सलाह से ही सेवन करें।

प्रतिष्ठित डाबर कम्पनी का यह उत्पाद Nature Care मूल रूप से इसबगोल की भूसी ही है। डाबर कम्पनी का होने के कारण यह शुद्ध, विश्वशनीय व एक प्राकृतिक उत्पाद है जिसका सेवन कर आप कब्ज़ से छुटकारा पा सकते हैं। बाज़ार में अन्य कंपनियों के सत इसबगोल भी उपलब्ध हैं

AADAR Re-LAX Constipation Relief एक आयुर्वेदिक दवा है जिसमें सनाय पत्ती और हरड़ मिलायी गयी है। यह बहुत ही प्रभावकारी आयुर्वेदिक दवा है लेकिन इसका नियमित सेवन नहीं करना चाहिए और लेने से पहले एक बार चिकित्स्क से परामर्श अवश्य लें।

Jiva Triphala Tablets जानी मानी आयुर्वेदिक दवा त्रिफला चूर्ण से बनी हुई टेबलेट है जो सेवन करने में चूर्ण की अपेक्षा आसान होती है।

Softovac-Sf (Sugar Free) Bowel Regulator For Effective Relief From Constipation & Irregular Bowel Habits (250Gm) यह प्रतिष्ठित कम्पनी Lupin की बहुत ही विश्वशनीय कब्ज़ निवारक औषधि है जिसमें इसबगोल के साथ अन्य जड़ी बूटियों को मिला कर बनाया गया है।

इस तरह आयुर्वेद में बहुत सी कंपनियों के उत्पाद मौजूद है जो विभिन्न कारणों से पैदा हुई कब्ज़ से छुटकारा दिलाने में सहायक हैं।

कब्ज़ की होम्योपैथिक दवा (Homeopathic treatment of constipation in Hindi)

होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धिति में भी कब्ज़ से छुटकारा पाने के लिए बहुत सी दवाइयां उपलब्ध हैं। अगर आप अपना इलाज़ इस पद्धिति से करवाना चाहते हैं तो किसी योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक से मिल कर सलाह लें।

होम्योपैथिक दवाएँ जो कब्ज़ व अन्य पेट के रोगों के लिए लाभकारी है उनमें से कुछ इस प्रकार है -

BryoniaT
Calcarea carbonica
Causticum
Graphites
Lycopodium
Natrum muriaticum
Nux vomica
Sepia
Silicea (also called Silica)
Sulphur

कब्ज़ की अंग्रेजी दवा(Allopathic treatment of constipation in Hindi)

एलोपैथिक चिकित्सा पद्धिति में भी कब्ज़ से तुरंत राहत के लिए दवाएं उपलब्ध है लेकिन अधिकांशत: यह दवाएं लेक्सेटिव (laxative) होती हैं जिन्हे लम्बे समय तक लेने पर अन्य कई तरह के साइड इफ़ेक्ट होने लगते हैं। इन दवाओं को कभी भी बिना चिकित्सक की सलाह नहीं लेना चाहिए।

अंग्रेजी दवाओं की किसी भी परिस्तिथि में बिना चिकित्सक के परामर्श के नहीं लेना चाहिए इसलिए हम यहाँ किसी भी अंग्रेजी दवा का उल्लेख नहीं कर रहे हैं।

कब्ज़ के कारण होने वाली अन्य शारीरिक परेशानियां

मुहँ में छाले होना

वैसे तो मुहँ में छाले होने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन मुख्यत: कब्ज और विटामिन बी काम्प्लेक्स व फोलिक एसिड की कमी के कारण मुहं में छाले होते हैं। यही आपको मुहँ में छाले की समस्या लम्बे समय तक बही रहती है तो यह कब्ज़ का लक्षण भी हो सकता है।

मुहांसे होना

शरीर में हारमोन के असंतुलन के कारण मुहांसे हो सकते हैं लेकिन अगर नियमित रूप से पेट साफ़ नहीं होता और लगातार कब्ज़ बानी रहती है तो मुहांसों की समस्या बढ़ सकती है। अत: ऐसी परिस्तिथि में पेट साफ़ रखने के लिए कोई भी कब्ज का घरेलू उपचार अपनाना चाहिए।

बवासीर या अर्श

लगातार कब्ज़ बनी रहने से मलत्याग करने के लिए अत्यधिक दबाव लगाना पड़ता है और इसके कारण मलद्वार की नसे फूलने लगती है जो अंत में बवासीर का कारण बनती है। पहले कब्ज़ के कारण बवासीर होते हैं फिर बवासीर के कारण मलत्याग करने के समय भयंकर पीड़ा झेलनी पड़ती हैं। कब्ज़ होने पर मलत्याग करने के लिए कभी भी दबाव नहीं लगाना चाहिए अपितु अन्य उपाय करने चाहिए ताकि आसानी से मलत्याग हो सके।

जी घबराना और भूख में कमी

अगर लम्बे समय तक कब्ज़ की समस्या बनी रहती है तो जी घबराना, भोजन में अरुचि जैसी समस्याएँ भी उत्पन्न होने लगती है।

कब्ज़ के बारे में ज्यादा पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

प्रश्न - क्या कब्ज का परमानेंट इलाज हो सकता है?

उत्तर - जी हाँ, कब्ज का परमानेंट इलाज इलाज़ हो सकता है लेकिन इसका इलाज़ दवाइयों में न खोज कर हमें अपनी दिनचर्या और खान-पान में सुधार कर प्राकृतिक जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। इस तरह आप कब्ज़ से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते हैं।

प्रश्न - क्या कब्ज़ से कैंसर हो सकता है।

उत्तर - वैसे तो कब्ज़ का कैंसर से कोई सीधा सम्बन्ध नहीं है लेकिन अगर कब्ज़ की समस्या को लम्बे समय तक अनदेखा किया जाए तो बड़ी आंत का कैंसर होने की सम्भावनाये बढ़ जाती है।

प्रश्न - कब्ज़ से तुरंत छुटकारा कैसे पाया जा सकता है ?

उत्तर - कब्ज़ एक chronic अवस्था है जिससे कुछ प्रकार के विरेचक ले कर कुछ समय के लिए तो तुरंत निजात पायी जा सकती है लेकिन यह इसका स्थायी समाधान नहीं है। विरेचक का लम्बे समय तक उपयोग करने से इनकी आदत भी लग सकती है और इनको छोड़ने पर कब्ज की समस्या और भी बढ़ सकती है। कब्ज का घरेलू उपचार ही कब्ज़ का सही समाधान है।

इनके अतिरिक्त अगर आपके मन में कोई भी सवाल हो तो आप कमेंट कर पूछ सकते हैं।

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