भारत की स्वतंत्रता में बंगाल का योगदान

in Indiaunited13 days ago

Namaskar

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में बंगाल की भूमिका अग्रणी रही है। बंगाल की भूमि में कुछ ऐसा था कि जहां एक और भारत में ब्रिटिश राज्य को स्थापित करने के दौरान सर्वप्रथम बंगाल ही उनके अधीन हुआ, तो दूसरी और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को आगे बढ़ाने में भी बंगाल की एक बहुत बड़ी भूमिका रही। आखिर क्या कारण थे कि बंगाल की भूमि में भारत के सबसे प्रबुद्ध लोगों ने जन्म लिया? आइए इसके कारणों को जानते हैं।


बंगाल की भूमि से आशय है उस क्षेत्र का जिसमें आज का पश्चिमी बंगाल, बांग्लादेश, त्रिपुरा जैसे क्षेत्र आते हैं। बंगाल की भूमि सदियों से प्रबुद्ध लोगों से भरी रही है। चैतन्य महाप्रभु, चंडीदास, जयदेव, बंगाल राजा राममोहन राय, रामकृष्ण परम हंस, स्वामी विवेकानंद, गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर, सूर्य सेन, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, जैसे विद्वान, साहसी, क्रांतिकारी और समाज सुधारक इस धरती पर पैदा हुए। विद्वानों और समाज सुधारकों के प्रयासों से यहाँ का समाज बाकी भारत से बहुत पहले ही जागृत हो चुका था। सदियों की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक प्रक्रिया ने इसको संवारा था।

बंगाल के लोगों में बढ़ती जागृति को नष्ट करने और हिन्दू मुसलमानों की एकता को मिटाने के लिए अंग्रेजों ने 1905 में बंगाल का विभाजन कर दिया। उनको लगा कि इससे बंगाली समुदाय बंट जाएगा पर इसका परिणाम उल्टा हुआ। बंगाल के विभाजन के खिलाफ इतना उग्र आंदोलन हुआ जिसने अंग्रेजी राज की नींव हिला दी। इस कारण अंग्रेजों को अपना फैसला रद्द करना पड़ा। उसके बाद भी बहुत आंदोलन हुए, लेकिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अलग ही रास्ता अपनाया। उन्होंने देश से बाहर निकल कर एक सेना का गठन किया और देश की स्वतंत्रता के लिए अपना अमूल्य योगदान दिया। इन्ही सब प्रयासों से देश आजाद हुआ। लेकिन अंग्रेज जाते जाते देश के दो टुकड़े करके चले गए। भारत और पाकिस्तान दो अलग अलग देश बने और बाद में बांग्लादेश का जन्म पाकिस्तान के विभाजन से हुआ। अगर आज एक देश होता तो हम कहीं भी आसानी से घूम सकते और एक दूसरे से मिल सकते थे।

बंगाल के लोगों का जोश और उनका खानपान मुझे बहुत पसंद है। खासकर उनकी बनाई मछली का मैं बहुत शौकीन हूँ। आम तौर पर दूसरे लोगों की बनाई मछली मुझे इतनी पसंद नहीं आती जितनी बंगाल के लोगों द्वारा बनाई गई मछली। उसके लिए मैं कलकत्ता घूमने का प्लान बना रहा हूँ। बंगाल में दार्जिलिंग के अलावा भी कोई हिल स्टेशन है तो मुझे बताइएगा।

Thank you!

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hmm... kaafi accha likha aapne kumar saab. main kisi ka samarthak aur kisi ka virodhi nahi hoon par mujhe lagta hai ki samay ke anusaar jisse jitna ban pada usne utna yogdaan diya. Aur ek baat jo main yakeen se keh sakta hoon ki desh koi bhi ho Azaadi kabhi Ahinsa ke dam par nahi milti.

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Dhanyavaad @untilwelearn, Akhil Jain ji. Aapke vicharon ke liye sadhuvaad. Aapka din shubh ho.

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