नोटों में भी लिपट कर सोने में सिमटकर मरे हैं कई मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता

in #blog6 years ago

भारत माँ को जो करना नमन छोड़ दे,
उससे कह दो कि मेरा वतन छोड़ दे.
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गर्मी तो सिर्फ AC वालों के लिए बढ़ी है साहब..
नही तो सीमा पर जवान और खेतों में किसान आज भी डटे हुए हैं।

खून से खेलेंगे होली,अगर वतन मुश्किल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,।
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किसी को स्वतंत्र दिवस की अगर बधाई
नहीं देंगे तो चलेगा लेकिन जमीन पर कागज का तिरंगा
कही भी गिरा मिले तो उसे जरुर उठा देना ।

ज़माने भर में मिलते हैं आशिक कई, मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता..
नोटों में भी लिपट कर सोने में सिमटकर मरे हैं कई मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता।
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कुछ नशा तिरंगे की आन का है ,
कुछ नशा धरती की शान का है..
हम जल,थल,आकाश हर जगह लहरायेंगे तिरंगा,
बात ये हिंदुस्तान की शान का है..

धन्य हुई वह माटी भी जिस पर तुमने जन्म लिया,
शीश झुकाये उस माता को जिसने तुम्हें जन्म दिया.
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जो घर्म पे मर मिटा बस वही महान है,
कारगिल का हर जवान देवता समान है।
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