सभी समाजों और धर्मों के अनुयायी केवल एक लेबल का प्रयोग करते हैं अपनी सामाजिक पहचान हेतु, कोई विरला ही होता है जो सच में उस धर्म का अनुसरण करता है. जैन समाज भी ऐसा ही एक समाज है. धर्म तो एक अलग ही बात है, वो सब के बस की नहीं है.
आप अपनी सेहत का ध्यान रखें और समुचित चिकित्सा लें. किसी से कोई उम्मीद रखे बिना अपना कार्य करना ही अपना कर्तव्य है.