ग़ज़ल # 8

ग़ज़ल

सारा चैनो-करार काग़ज़ पर ।
दिल का सारा ग़ुबार काग़ज़ पर ।

इश्क़ का कारोबार काग़ज़ पर ।
इस क़दर ऐतबार काग़ज़ पर ।

फूल ख़ुशबू बहार काग़ज़ पर ।
सारी दुनियाँ का सार काग़ज़ पर ।

इश्क़ नाकाम जब हुआ तो बना ,
ख़्वाहिशों का मज़ार काग़ज़ पर ।

एक शायर ने मयकशी क्या की ,
ख़ूब उतरा ख़ुमार काग़ज़ पर ।

सच को देखा न परखा हाकिम ने ,
हो गई जीत हार काग़ज़ पर ।

फाड़ कर बेवफ़ा के ख़त 'नादान',
यूँ न ग़ुस्सा उतार काग़ज़ पर ।

                       राकेश 'नादान'
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excellent bhai sab

Thanks a lot Bhai