ग़ज़ल
सारा चैनो-करार काग़ज़ पर ।
दिल का सारा ग़ुबार काग़ज़ पर ।
इश्क़ का कारोबार काग़ज़ पर ।
इस क़दर ऐतबार काग़ज़ पर ।
फूल ख़ुशबू बहार काग़ज़ पर ।
सारी दुनियाँ का सार काग़ज़ पर ।
इश्क़ नाकाम जब हुआ तो बना ,
ख़्वाहिशों का मज़ार काग़ज़ पर ।
एक शायर ने मयकशी क्या की ,
ख़ूब उतरा ख़ुमार काग़ज़ पर ।
सच को देखा न परखा हाकिम ने ,
हो गई जीत हार काग़ज़ पर ।
फाड़ कर बेवफ़ा के ख़त 'नादान',
यूँ न ग़ुस्सा उतार काग़ज़ पर ।
राकेश 'नादान'
excellent bhai sab
Thanks a lot Bhai