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RE: मानवता संरक्षण का अस्त्र : अहिंसा (अन्तिम भाग # ५ ) | The War of Humanitarian Conservation : Non-violence (Final Part # 5)

in #life6 years ago

आपकी बातों से पूर्ण रूप से सहमत कहूँ तो ऐसा नहीं है . अहिंसा परमो धर्म . सही है .मनुष्य को जीवन में अहिंसा अपनाने से ही लाभ है और जीवन शांतिप्रिय गुजरा जा सकता है . परन्तु जैसे जैन धर्म में पेड़ों को भी जीवित मन गया है तो अगर मनुष्य उस स्तर तक अहिंसा का पालन करेगा तो खायेगा क्या , प्रक्रति में संतुलन भी जरुरी है . आपके कथन से मैं सहमत हूँ ......

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मुझे लगता है आप थोड़े असमंजस में है. आप को कहीं तो एक रेखा (लक्ष्मण रेखा) तो खीचनी ही पड़ेगी, पर कहां ये आप पर निर्भर करता है. आप मांस, अंडा, मछली, दूध व पौधों से प्राप्त चीजों में अन्तर तो कर ही सकते है कि क्या कम अहिंसक है अपने जीवन यापन के लिए.
एकेन्द्रिय व पंचेन्द्रिय जीव की हिंसा में अन्तर तो है ही. आप किसी मनुष्य को चिंटी काटे या उसका क़त्ल ही कर दे, इन दोनों बातो में बड़ा अन्तर है. ये सब बातें एक जैसी बात नहीं है.