जैन दर्शन - अंतरात्मा की परिणति - भाग # २

in #life6 years ago (edited)

कल जो आत्मा की तीन प्रकार की परिणति बताई थी, अब उसके आगे से शुरू करते है -

बहिरात्मा वह है जो देहाध्यास में रमण कर रही है, जो देह दे सुख में सुख और देह के दुःख में दुःख मानती है । जिसकी समझ में देह से अलग आत्मा की कोई सत्ता नहीं है । जब तक आत्मा की ऐसी अज्ञानमय और विभ्रमयुक्त परिणति बनी रहती है, तब तक उसकी बहिरात्मदशा रहती है ।
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परन्तु जब विशिष्ट ज्ञानियों के सम्पर्क से अथवा अपनी निज की निर्मल मति से आत्मा को अपने पृथक् अस्तित्व का प्रतिभास हो जाता है और यह बात समझ में आ जाती है कि जिस प्रकार म्यान और तलवार एक नहीं है, उसी प्रकार आत्मा और शरीर भी एक नहीं है, तब अंतरात्मदशा प्रकट होती है । इस दशा के प्रकट होने पर जिव बाह्य-पदार्थो के संसर्ग में रहता हुआ भी द्रष्टा वन कर रहता है । वह उन पदार्थों में न अह्मबुद्धि रखता है और न ममबुद्धि ।

नाटकशाला में नाटक देखने जाते है । उसमे अनेक पात्र अभिनय करने के लिए रंगभूमि में आते है । कोई राजा बन कर आता है और वही दुसरे क्षण दरिद्र का रुपे धारण कर के आ जाता है । दर्शकों को इस बात से हर्ष-विषाद नहीं होता कि एक गरीब अमीर बन गया या अमीर गरीब बन गया है । अभिनेता स्वयं भी अपने को राजा और दरिद्र का अभिनेता ही समझता है । वह राजा से दरिद्र बन जाने के कारण दुखी नहीं होता है । वह जानता है कि राजा का अभिनय करने से मुझे राजसी वैभव नहीं मिल जायेगा और दरिद्र का अभिनय करने से मै भूखा नहीं मर जाऊंगा । मै कुछ भी अभिनय करूँ, मेरी असली स्थिति में इससे कोई अन्तर नहीं पड़ने वाला है ।

इसी प्रकार जो जीव संसार को रंगशाला समझ कर अपने आपको अभिनेता समझता है, वह किसी भी बाह्य दशा में हर्ष-विषाद का अनुभव नहीं करता । वह जानता है कि पौद्गलिक पदार्थों के संयोग अथवा वियोग से मेरा कुछ बनता-बिगड़ता नहीं है । इससे मेरी आत्मा की मुलभूत स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होता ।

राजा हरीशचंद्र एक समय राजा थे । संसार के सारे सुख वैभव उनके चरण में थे । किन्तु एक कुचक्र चला और उन्हें चांडाल का दास बनना पड़ा । मगर इससे उनकी आत्मा का क्या बिगड़ा ? आत्मा के स्वरुप को भलीभांति समझ जाने वाला जीव संसार की किसी भी ऊँची-नीची अवस्था में तटस्थ ही रहता है । आसक्ति उसे स्पर्श नहीं करती । वह पुद्गलों का दास बनकर नहीं रहता है । ऐसा जीव अन्तरात्मा कहलाता है ।

अन्तरात्मा होते ही जीव सम्यग्द्रष्टि बन जाता है । अथवा यों कहे कि सम्यग्द्रष्टि का उदभव होते ही अंतरात्मदशा प्रकट होती है । सम्यग्द्रष्टि प्राप्त होने पर जीव मोक्ष-मार्ग का पथिक बन जाता है । उसका परमात्मा की तरफ जाने का रास्ता साफ हो जाता है ।

कामदेव श्रावक के पास देवता पिशाच का रूप धारण कर के बोले तू अपने धर्म का परित्याग कर दे, अन्यथा खड्ग से टुकड़े-टुकड़े कर दुँगा । परन्तु कामदेव का एक रोम भी कम्पित न हुआ । वह सोचने लगे – यह टुकड़े-टुकड़े करने की धमकी दे रहा है, पर किसके टुकड़े-टुकड़े कर देगा ? टुकड़े शरीर के हो सकते है । पुद्गल, पुद्गल को ही काट सकता है । इसकी यह लम्बी और तीखी तलवार मोटे शरीर पर चल सकती है, किन्तु शरीर तो टुकड़ा-टुकड़ा ही है । न जाने कितने पुद्गल परमाणुओं से बना है । इसके टुकड़े कर देगा तो मेरा क्या बिगड़ जायेगा ? मै कहाँ इस काया के पिंजड़े में सदैव रहने की सोचता हूँ ?

मैं चैतन्यघन आत्मा हूँ, अमूर्तिक हूँ, अरुपी हूँ, अनाकार हूँ । पुद्गल मेरा छेदन-भेदन नहीं कर सकते । ठीक ही कहा है –

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि, नैनं दहति पावकः ।

नचैनं क्लेदयन्त्यापो, न शोषयति मारुत: ।।

इस आत्मा को न शस्त्र काट सकता है, न आग जला सकती है, न पानी गला सकता है और न पवन सोख सकता है ।
इस प्रकार विचार कर कामदेव के मन में लेशमात्र भी भय का संचार नहीं हुआ । यह है अन्तरात्मा जीव की द्रष्टि । इस द्रष्टि के प्राप्त हो जाने पर चाहे चक्रवर्ती का राज्य मिल जाए, चाहे कोई आग में भुन दे । किसी भी दशा में हर्ष-विषाद नहीं होता है ।

बहिरात्मद्रष्टि का परित्याग कर के अन्तरात्मा द्रष्टि प्रकट करना और भोतिक पदार्थो की शक्ति पर भरोसा न कर के प्रभु को ही अशरण-शरण मानना परमात्मा को आत्मसमर्पण करना कहलाता है । बहिरात्मा को त्यागे बिना और अन्तरात्मा बने बिना आत्मा परमात्म-समर्पित नहीं तो सकती । अतएव बहिरात्मा का त्याग कर के, अन्तरात्मा में स्थित होना चाहिए और परमात्मा का ध्यान करना चाहिए । परमात्मा का ध्यान करते-करते वह समय आ जायेगा कि जो स्वरूप परमात्मा का है, वही आत्मा का बन जाये ।

आत्म अरपण वस्तु विचारता.

भरम टले मति दोष, सुज्ञानी ।

परम पदारथ संपति संपजे,

‘आनन्दघन’ रस पोष, सुज्ञानी ।।

इस प्रकार आत्मसमर्पण करने से देह और जीव को एक गिन कर, देह दे सुख में सुखी और दुःख में दुखी होने का मन का भ्रम मिट जायेगा । इस भरम के मिटते ही परम तत्व को महान सम्पति प्राप्त होगी और आत्मा परमानन्द के रस में निमग्न हो जाएगी । संसार के सब सुख-दुःख दूर होकर शुद्ध शाश्वत सुख प्राप्त होगा ।

अंतरात्मा की Steeming

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@upme
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Please, reply with proper answer and solution.

@mehta दादा app जो हिन्दी में शुरू किया ए हमारे लिए बहुत गर्व की बात है,,, kiu की हमारा राष्ट्रीय language हिंदी,, aur App Avi जो जैन दर्शन - अंतरात्मा की परिणति के बारेमे लिखे हो,, ए पोढकर हमको bahut सुकून मिलता हे, अपके पोस्ट pordhneke bad बहुत पुननो मिलता हे, Avi तो भाग 2 App शुरू किया,, sayed अपके टोटल भाग से बहुत कुछ सीखने को मोउका मिलेगा, किया कहते हो sir???????

आपके प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद. अभी तो मैं मात्रभाषा में ही लिख रहा हूँ. आपको और भी बहुत कुछ पढने को मिलेगा हिंदी में.

Apko bahut sukriya @mehta दादा, हम vi cahta hu app hindi me hi likhe,, hindi हमारा matri vasa

After wedding series u r posting on essential topics well great

आपके सतत जुड़े रहने के लिए शुक्रिया. बस ऐसे ही steeming करते रहिए.

Bilkul sir aap mere 55 followers me se ek ho

Kya app in sab chijo pe bisawaash karte ho or yesh sachme hota hain kya @mehta

इसमें विश्वास न करने का कोई कारण ही नहीं है और ये कोई भूत, अंधविश्वास तो है नहीं.
सोच कर देखो इसमें कोई बुराई नहीं है.

@mehta lovely second part also. you are writing beautiful.

आपका दिल से धन्यवाद. दोनों पोस्ट पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया.

You should transalate to english as well...for us to read :)

Thanks for your feedback.
You can use online Google translate for it.

yes...you can translate and put both the languages...
just a suggestion :)

bahut acha likha aapne,

Nice work

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I was summoned by @mehta. I have done their bidding and now I will vanish...

woosh
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How to use Sneaky Ninja
How it works
Victim of grumpycat?

Kya app in sab chijo pe bisawaash karte ho or yesh sachme hota hain kya @mehta

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nice one all the things are written right.

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my dear mehta g thanks or congrats for wonderful sharing about janisum, for ur this effort youth touch or understand about janisum. Please read my posts or guide me also jnaab g .

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Usually I never comment on blogs but your article is so convincing that I never stop myself to say something about it. You’re doing a great job Man,Keep it up.

‌‌‌ एक नए अध्याय के साथ प्रस्तुत किया है।

grat job nice article ,you always come with differant kind of ideas ,its really appreciated ,well done ,i am a biggesst fan of you ,and want to become like ,so please guide me and support me ,i want to know one more thing where you got these different kind of ideas and how much time you spends to prepare a blog ,please answer me i am wating for you,its will be motivating me thanx and support me
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As per my view i believe in god..
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@mehta you are making good articles.

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