RAMDEWRA GREAT FESTIVAL

in #partiko6 years ago

प्रतिवर्ष भादवा शुक्ल दूज को रामदेवरा ( राजस्थान राज्य के जैसलमेर जिले में पोकरण के पास ) में राज्य का सबसे बड़ा मेला लगता हैं।आज के दिन यहां पर देश के लगभग सभी राज्यों से लाखों की संख्या में जातरू रामदेवरा पहुंच कर बाबा रामदेव पीर को प्रसाद चढ़ाते हैं। रामदेवरा मन्दिर में लगभग सभी धर्मों को मानने वाले धर्मावलम्बी दर्शन लाभ को पहुचते हैं तथा मिन्नत मांगते हैं। मिन्नतें पूरी होने पर गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड आदि राज्यों से पैदल पहुँच कर बाबा को धोक लगाते हैं। राजस्थान राज्य के हर जिले से रामदेवरा पहुँचने वाली सड़के पैदल यात्रियों से भर जाती हैं। लगभग हर दो तीन किलोमीटर पर यात्रियों के विश्राम व भोजन की निःशुल्क व्यवस्था स्थानीय नागरिकों द्वारा की गई होती हैं।
ऐसी मान्यता हैं कि भगवान द्वारकाधीश ने माता मैणादे व पिता अजमालजी के घर, भादवा शुक्ल दूज विक्रम संवत 1409 को मानव कल्याण और समाज मे व्याप्त कुरीतियों को खत्म करने हेतु अवतार लिया। आपने तंवर साम्राज्य की नींव पोखरण की स्थापना कर स्थापित की। तत्कालीन समय में समाज में छुआछूत, दलित अत्याचार, द्वेष भाव आदि कुरीतियां अपने चरम पर थी। बाबा रामदेव पीर ने कुरीतियों को समाप्त किया तथा दलितों के उत्थान के लिए अनेक कार्य किये। बाबा ने सच्चे अर्थों में मानवीय मूल्यों को स्थापित करने के लिए समाज के सभी वर्गों को मानसिक रूप से तैयार किया। आपने भैरों राक्षस को मारकर समाज को उसके ख़ौफ़ से मुक्ति दिलाई।
रामदेव पीर ने समाज मे हिन्दू मुस्लिम एकता को स्थापित किया तथा भेदभाव को समाप्त किया। बाबा की समाधि पर जितनी श्रद्धा से हिन्दू जाते हैं, उतनी ही श्रद्धा से मुस्लिम भी पहुंचते हैं।
आपने 33 वर्षो के अल्प जीवन मे अनेक समाज सुधार के कार्य किये, जो पिछले सेकड़ो वर्षो में सम्भव नही हुए।
पांच पीरो में से बाबा रामदेव पीर का विशेष स्थान हैं।
" पाबू हडबू रामदेव ए माँगळिया मेहा ।
पांचू पीर पधारजो, ए गोगाजी जे हा ।।"
रामदेवजी ने अपने अल्प जीवन मे अनेक जनसेवा के कार्य किये। असाध्य रोगों का उपचार आपने चमत्कारी तरीके से कर अनेक बीमारों को उन रोगों से मुक्ति दिलाई।
बाबा को मुस्लिम भक्त पीर मानकर पूजा करते हैं। कहा जाता हैं कि, मक्का के मौलवियों ने जब बाबा के पर्चो के बारे में सुना तो उनकी अलौकिक शक्ति को परखने के लिए रामदेवरा पहुचे। बाबा ने जब पीरों के लिए भोजन की व्यवस्था करवाई ओर भोजन करने के लिए आमंत्रित किया तो पीरो ने बताया कि वे अपने ही बर्तन में भोजन करते है, और वो अपने बर्तन मक्का में ही छोड़ आये, इसलिए वे भोजन नही कर पाएँगे। बाबा ने भी पीरो को बताया कि, उनका भी प्रण है , कि वो घर आये मेहमानों को बिना भोजन किये नही जाने देते, इसलिए भोजन तो उनको करना ही पड़ेगा। बाबाजी ने अलौकिक चमत्कार दिखाते हुए उन पांचो पीरो के बर्तन मक्का से उनके सामने पहुचाये ओर उनको भोजन करवाया। इस चमत्कार से पीर इतने प्रभावित हुए, कि उन्होंने रामदेवजी को पीरों का पीर स्वीकार किया।
जन जन की सेवा के साथ सभी को एकता के सूत्र में बंधने का मंत्र देकर बाबा रामदेव पीर ने 33 वर्ष की अल्पायु में ही भाद्रपद शुक्ल एकादशी विक्रम संवत 1442 में जीवित समाधि ले ली।
आज भी सच्चे मन से बाबा की समाधि पर मत्था टेक कर जो भी मन्नत मांगता हैं, उसकी मन्नत जरूर पूरी होती हैं।
जय रामसा पीर

इस पोस्ट पर आपके विचार सादर आमंत्रित हैं।

आपका - indianculture1

Posted using Partiko Android

Sort:  

Congratulations @indianculture1! You have completed the following achievement on the Steem blockchain and have been rewarded with new badge(s) :

Award for the number of posts published

Click on the badge to view your Board of Honor.
If you no longer want to receive notifications, reply to this comment with the word STOP

Do not miss the last post from @steemitboard:

SteemitBoard - Witness Update

Support SteemitBoard's project! Vote for its witness and get one more award!